फिल्म स्क्रिप्ट लिखने के बाद उसमे कब एडिट की आवश्यकता होती है

script editing

फिल्म स्क्रिप्ट लिखने के बाद कब स्क्रिप्ट के संपादन की आवश्यकता होती है

एक स्क्रिप्ट को लिखने काफी समय लग जाता है और कुछ स्क्रिप्ट तो सालों मेहनत के बाद
पूरा होता है लेकिन फिर भी काफी समय ऐसा आता है की उसमे कुछ बदलाव करना होता है |

एक स्क्रिप्ट राइटर के दिमाग में पूरी कहानी एक फिल्म के रूप में चलती है सभी करैक्टर, डायलॉग,
लोकेशन, एक्शन, ड्रामा चलते रहता है |कभी -कभी पेपर पे कहानी लिखने में आईडिया खो जाता है
जब भी कोई स्क्रिप्ट लिखा जाता है तो स्क्रिप्ट राइटर अपने स्क्रिप्ट को किसी दूसरे लोग को पढ़ने दे
सकता है और उसे ये बताने बोल सकते हैं की ये कहानी किस बारे में है |

वो व्यक्ति स्पष्ट बता सकता है की ऐसा क्या चीज था जो आपके दिमाग में था पर पेपर पे नहीं लिख पाए |
इस तरह से अगर कोई चीज छूट गई हो तो अपने स्क्रिप्ट को फिर से एडिट कर सकते हैं |

रिहर्सल में फिल्म स्क्रिप्ट का संपादन करें

जब पहली बार रिहर्सल किया जाता है तो इस वक़्त स्क्रिप्ट में लिखे शब्द और करैक्टर को
जीवन मिलता है | एक्टर स्क्रिप्ट में लिखे एक्शन को करता है और डायलॉग को बोलता है |
इस समय स्क्रिप्ट राइटर को अगर कोई नया आईडिया आता है स्क्रिप्ट में बदलाव करने का
तो वो कर सकता है |

वैसे तो रिहर्सल के समय हर कोई चाहे वो एक्टर हो या डायरेक्टर हो अपना आईडिया ले कर
आ सकता है लेकिन अगर आप स्क्रिप्ट लिखें हैं तो जरूरी नहीं की हर कसी की बात माना जाये |
अगर एक स्क्रिप्ट राइटर को लगता है की नए आईडिया को एक्रिप्ट में लिखा जाये तो वो उसी समय
उस डायलॉग या एक्शन नोट कर के फिर उसको एडिटिंग के समय अपने स्क्रिप्ट में लिख सकते हैं |

लोकेशन के लिए अपनी स्क्रिप्ट का संपादन करें

फिल्म में स्क्रिप्ट के हिसाब से ही लोकेशन ढूंढा जाता है और एकदम वैसा ही लोकेशन ढूँढना
कई बार मुश्किल हो जाता है | कभी ऐसा भी हो जाता है की स्क्रिप्ट में जैसा लोकेशन लिखा हुआ
है उससे ज्यादा अच्छा लोकेशन मिल गया | और ऐसे में एक ही चीज दिमाग में आता है की किस
तरह स्क्रिप्ट के लोकेशन को एडिट करें |
इसी लिए जब भी को ऐसा लोकेशन मिल जाये जो उस सीन के लिए परफेक्ट हो और वो स्क्रिप्ट में
कुछ अलग लिखा हो तो उसे स्क्रिप्ट में एडिट कर सकते हैं |

प्रॉप्स के लिए अपनी स्क्रिप्ट का संपादन

लोकेशन के तरह ही प्रॉप्स में भी कभी-कभी स्क्रिप्ट में लिखे प्रॉप्स के बदले दूसरे प्रॉप्स का
इस्तेमाल किया जा सकता है | सीन में अगर को कुछ एक्स्ट्रा प्रॉप्स चाहिए जो की स्क्रिप्ट में
लिखा हुआ नहीं है तो उसे भी स्क्रिप्ट में ऐड करना होता है |

ड्रेसिंग और कपडे में भी अगर स्क्रिप्ट में कुछ बदलाव करना हो तो उसे स्क्रिप्ट में कर सकते हैं |

अगर कोई प्रॉप्स काफी डिटेल्स में लिखा हुआ है तो फिर शूटिंग में वही प्रॉप्स का इस्तेमाल
करना होता है |

फिल्म के संपादन के समय स्क्रिप्ट का संपादन

फिल्म एडिटिंग के समय फिल्म एडिटर अपने हिसाब से एडिटिंग करता है | फिल्म के कहानी के
इमोशन को परदे पे दिखाने के लिए अपने एडिटिंग तकनीक का इस्तेमाल करता है और हो सकता
है की स्क्रिप्ट में कुछ अलग एडिटिंग इफेक्ट्स या तकनीक लिखा हो | एडिटिंग के समय
भी स्क्रिप्ट में थोड़े बहुत बदलाव करने पद सकते हैं |

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