Cinematographer एक फिल्म बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, सिनेमैटोग्राफर का
प्राथमिक लक्ष्य निर्देशक की इमेजिनेशन को समझना है। और फिर लाइट, कैमरा और
कम्पोजीशन तकनीकों का उपयोग करते हुए इमेजिनेशन को इमेज में शूट करना होता है |
Cinematographer को DP, DOP, ( डायरेक्टर ऑफ़ फोटोग्राफी ) भी बोला जाता है | सिनेमेटोग्राफी एक कला है
जिसके माध्यम से किसी कहानी को वीडियो शॉट और सीक्वेंस में कैप्चर कर के फिल्म के रूप में तैयार
किया जाता है |
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स्क्रिप्ट राइटर ने जो कहानी लिखा है और उस कहानी के हिसाब से डायरेक्टर के इमेजिनेशन को
फिल्म में शूट करना Cinematographer का काम होता है | और इस प्रोसेस को सिनेमेटोग्राफी बोलते हैं |
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Role of cinematographer
Table of Contents
cinematographer को कैमरा के बारे में अच्छी नॉलेज रखना पड़ता है | जो भी कैमरा फिल्म प्रोडक्शन में
इस्तेमाल होता है उसके फंक्शन के बारे में जानकारी रखना और उससे जुड़े लाइटिंग की जानकारी
रखना cinematographer का मुख्य काम होता है |
Camera placement
फिल्म के किस सीन में क्या स्टोरी है उस स्टोरी के इमोशन के हिसाब से किस प्रकार का शॉट होगा
ये फिल्म डायरेक्टर अपने इमेजिनेशन और स्क्रिप्ट के हिसाब से सिनेमेटोग्राफर को बताते हैं |
और फिर cinematographer सही Camera placement कर और उस शॉट को इमोशन के हिसाब
से शूट करता है |
cinematographer को कैमरा और सब्जेक्ट के बिच के दुरी का अच्छा अनुभव रखना होता है ताकि
जिस प्रकार की शॉट को शूट करना हो उस हिसाब से सही जगह कैमरा को ले जा कर फ्रेम सेट कर सके |
Shot size
शॉट साइज का मतलब है सीन में क्या क्या दिखाना है |
अगर सिर्फ कैरेक्टर को दिखाना है तो CU(Close Up) शॉट लिया जाता है | वहीं अगर
कैरेक्टर के इमोशंस को दिखाना है तो ECU (Extreme Close Up) शॉट लिया जाता है |
दो कैरेक्टर आपस में बात कर रहे हैं तो उसे Mid Shot में दिखाया जाता है | ये cinematographer के
स्किल पे निर्भर करता है की किस प्रकार के शॉट से कहानी को प्रेजेंट करे ताकि ऑडिएंस आसानी से
उस सीन के साथ कनेक्ट कर सके |
ये कुछ Shot Types हैं जो फिल्म में ज्यादातर इस्तेमाल होते हैं-
- EWS (Extreme Wide Shot)
- MS (Mid Shot)
- CU(Close Up)
- ECU (Extreme Close Up)
- VWS (Very Wide Shot)
- MCU (Medium Close Up)
- (OSS) Over-the-Shoulder Shot
- WS (Wide Shot)
Camera movement
फिल्म में सीन के इमोशन और कहानी के हिसाब से अलग-अलग प्रकार के कैमरा
मूवमेंट का इस्तेमाल किया जाता है |
cinematographer ही ये तय करता है की किस शॉट में किस प्रकार का कैमरा मूवमेंट डाला जाये |
कैमरा मूवमेंट के लिए जरूरी टूल्स के बारे में सिनेमेटोग्राफर को पता होना चाहिए तभी
प्रॉपर कैमरा मोवेमेंट किया जा सकता है |
Camera movement Types
- Zoom
- Tilt
- Dolly
- Pan
- Handheld
- Crane
Focus
cinematographer को फोकस के बारे में अच्छा अनुभव होता है | किस सीन या शॉट में
सब्जेक्ट को किस सिचुएशन में फोकस में रखना है ये सिनेमेटोग्राफर अच्छी तरह से
समझता है |
जैसे- किसी सीन में दो कैरेक्टर आपस में बात कर रहे होते हैं तो जो कैरेक्टर डायलॉग बोल रहा होता
है उसे फोकस में रखा जाता है और जो सुन रहा होता है उसे डिफोकस कर दिया जाता है |
पर ये जरूरी नहीं है की हर बार यही नियम इस्तेमाल हो | ये पूरी तरह से कहानी और सीन के परिस्थिति
के ऊपर निर्भर करता है | कभी-कभी दोनों कैरेक्टर भी फोकस में रह सकते हैं |
किसी सीन में अगर सिचुएशन ऐसा है की दो कैरेक्टर आपस में कोई गुप्त इनफार्मेशन शेयर कर रहा है और
तीसरा कैरेक्टर उसी फ्रेम में छुप के सुन रहा है तो ऐसे में दोनों कैरेक्टर जो डायलॉग कर रहे हैं उनको डिफोकस
कर दिया जाता है और जो तीसरा कैरेक्टर छुप के सुन रहा है उसको फोकस कर दिया जाता है |
लेकिन ये पूरी तह से cinematographer के कलात्मकता के ऊपर निर्भर करता है की वो कहानी को किस अंदाज
में इमेज के रूप में कैप्चर करना चाहता है |
cinematographer भी डायरेक्टर के सामानांतर में ही सोचता है तभी डायरेक्टर और सिनेमेटोग्राफर में सामंजस्य
बैठ पाता है और एक अच्छी फिल्म बन पाती है |
ये तकनीक सिर्फ फिल्म ही नहीं फोटोग्राफी में भी इस्तेमाल किया जाता है | जो मुख्य सब्जेक्ट होता है
उसको फोकस में रखा जाता है और जो बैकग्राउंड होता है उसको डिफोकस कर दिया जाता है |
Shot composition
शॉट कम्पोजीशन का मतलब होता है उस शॉट के अंदर क्या-क्या चीजें दिखाना है |
एक अच्छे cinematographer को ये पता होता है की किस सीन में किस चीज को फ्रेम में रखना है और
कौन से चीज को फ्रेम से बाहर रखना है |
फिल्म का सेट तो काफी बड़ा होता है और वहां पे काफी चीजे भी बैकग्राउंड में रहती है तो cinematographer
ही अपने स्किल और कलात्मकता से फ्रेम में बैकग्राउंड की वही सब चीजे कैप्चर करता है जो उस सीन
के हिसाब से सही हो |
Lighting
एक अच्छे cinematographer को लाइटिंग की अच्छी समझ होना जरूरी है | किस शॉट में कौन
सा लाइट का इस्तेमाल किया जाना चाहिए वो सिनेमेटोग्राफर को अच्छे से पता होना चाहिए |
लाइटिंग फिल्म के मूड को बदल सकता है इसी लिए किस प्रकार की फिल्म है उस हिसाब से
हरेक सीन और शॉट के लिए लाइटिंग किया जाता है | cinematographer लाइटिंग का आईडिया
पहले से ले कर रखता है और प्रोडक्शन डिपार्टमेंट को इनफार्मेशन दे देता है ताकि प्रोडक्शन टीम
फिल्म सेट पे उन सारे लाइट्स को उपलब्ध करा सके |
कई अलग-अलग लाइटिंग तकनीक है जिसके मदद से फिल्म को और ज्यादा सिनेमेटिक बनाया
जा सकता है | एक प्रशिक्षित cinematographer को ये सब का काफी अच्छे से नॉलेज और अनुभव रहता है |
Lens Choice
cinematographer लेंस के सलेक्शन में काफी सावधान रहता है| अलग-अलग शॉट के लिए
अलग-अलग लेंस का इस्तेमाल होता है |
सिनेमेटोग्राफर को ये पता होना चाहिए की किस शॉट में कौन सा लेंस का उपयोग करें |
जिस कैमरा से फिल्म शूट हो रहा है उसमे कौन-कौन लेंस लगा सकते हैं ये cinematographer को
अच्छे से पता होना चाहिए |
सिनेमेटोग्राफर को उस कैमरा के फंक्शन के बारे में भी अच्छे से पता होना जरूरी होता है |
Cinematographer कैसे बने
सिनेमेटोग्राफर बनने के लिए किसी अच्छे फिल्म स्कूल से सिनेमेटोग्राफी का कोर्स कर
सिनेमेटोग्राफी के तकनीक के बारे में सिख सकते हैं |
काफी सारे फिल्म स्कूल है जो सिनेमेटोग्राफी के लिए डिग्री या डिप्लोमा कोर्स उपलब्ध करवाता
है वहाँ से कोर्स कर के सिनेमेटोग्राफी के क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं |
- Satyajit Ray Film and Television Institute (SRFTI) Kolkata
- Whistling Woods International, Mumbai
- Film and Television Institute of India
nice content!
बहुत बढ़िया जानकारी दी है, आपने
Bahut bahut dhanyawad sir aapko. Bhagwan aapke har sapne ko pura kare.really sir aapne mujhe bahut kuch sikhaya h.
Once again and thank you very much
Apne sabkuch Bahut hi sahi tarike se samjhaya hai, dhanywaad.
Ek nivedan hai ki ho sake to kripya Kar aap Animation se Jude members ya terms ki details par blog bana de,
Jaise ki “cinematography ka view kaun sochta h Animation me”?
There details ki jarurat h sir ji.
Fir se sukriya itne achhe blog ke liye.