Anurag kashyap एक भारतीय फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक, संपादक, निर्माता, अभिनेता हैं जो
हिंदी सिनेमा के काफी लोकप्रिय हैं और अपने बेहतरीन कामों के लिए जाने जाते हैं।
फिल्म में उनके योगदान के लिए, फ्रांस सरकार ने उन्हें 2013 में ऑर्ड्रे डेस आर्ट्स एट डेस लेट्रेस
(नाइट ऑफ द ऑर्डर ऑफ आर्ट्स एंड लेटर्स) से सम्मानित किया।
Anurag kashyap का जन्म 10 September 1972 को गोरखपुर , उत्तर प्रदेश , इंडिया में हुआ |
Anurag kashyap प्रारंभिक जीवन
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अनुराग कश्यप के पिता (Sri Prakash सिंह) पेशे से उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पदान
निगम लिमिटेड में मुख्य इंजीनियर थे | वाराणसी के पास सोनभद्र जिले में ओबरा थर्मल
पावर स्टेशन में उनकी पोस्टिंग थी।
ग्रीन स्कूल देहरादून में अनुराग कश्यप की प्राथमिक स्टार की पढाई किये और आगे की पढ़ाई
Scindia School Gwalior से प्राप्त किया |
वैज्ञानिक बनने की चाहत के कारण, अनुराग कश्यप अपनी उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली गए और
हंसराज कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) में एक जूलॉजी पाठ्यक्रम में दाखिला लिया और उन्होंने
1993 में स्नातक किया |
उन्होंने भारत के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में भाग लिया और सिर्फ 10 दिनों में 55 से
अधिक फिल्में देखीं। जिसके चलते वह Vittorio De Sica’s की बाइसिकल थीव्स (Bicycle Thieves)
से काफी प्रेरित हुए और फ़िल्में बनाने का मन बनाया।
1993 में वो घर छोड़कर मुंबई आ गए और अपने करियर के शुरुआती दौर काफी तकलीफ भरा
रहा | मुंबई के सड़क पे लगे बेंचों पे बिताना पड़ा | उन्होंने मुंबई स्थित पृथ्वी थिएटर में पहली नौकरी
की, लेकिन निर्देशक की मृत्यु के कारण उनका पहला नाटक अधूरा रह गया था।
उनके जीवन में मोड़ तब आया, जब मनोज वाजपेयी ने उन्हें राम गोपाल वर्मा के लिए एक फिल्म
सत्या लिखने की पेशकश की|
ये फिल्म काफी सुपर हिट रही लोगों ने इस फिल्म को खूब सराहना किया और वहीं से अनुराग कस्यप
खुद फिल्म निर्देशन करने लगे | कुछ फिल्में फ्लॉप भी रही कुछ रिलीज नहीं हो पाई लेकिन उन्होंने कभी
पीछे मुड़कर नहीं देखा |
Anurag kashyap व्यक्तिगत जीवन
अनुराग कश्यप के भाई अभिनव कश्यप भी एक फिल्मकर है और उनकी बहन अनुभूति कश्यप
कुछ फिल्मों में अस्सिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में काम किया है |
पढ़ाई पूरी करने के बाद वो थिएटर ग्रुप से जुड़ गए और नाटक में काम करने लगे फिर वहीं से
उनका लगाव और खिचाव फिल्मों के तरफ धीरे धीरे होने लगा |
Anurag kashyap की पहली शादी आरती बजाज से हुई थी, जिनके साथ उनकी एक बेटी भी है।
आरती बजाज पेशे से फिल्म संपादक है |दोनों ने 2009 में तलाक ले लिया।
बाद में उन्होंने अभिनेत्री कल्कि कोचलिन से शादी की, दोनों की पहली बार मुलाकात
ऊटी में फिल्म देव-डी के निर्माण के दौरान हुई थी | अनुराग कश्यप और कोचलिन ने
फिर तलाक ले लिया।
Anurag kashyap career
अनुराग कश्यप टेलीविज़न धारावाहिक से अपने करियर की शुरुआत किये थे |
सात से आठ साल टेलीविज़न में काम करने के बाद अनुराग कश्यप को राम गोपाल वर्मा
की क्राइम ड्रामा फिल्म सत्या (1998) में सह-लेखक के रूप में अपना प्रमुख ब्रेक मिला|
उन्होंने फिल्म paanch के साथ अपना निर्देशन में करियर की शुरुआत किया|
फिल्म paanch Anurag kashyap की पहली फिल्म थी जिसमे वो एक निर्देशक के रूप में
काम किया था | सेंसर बोर्ड के कुछ प्रॉब्लम के कारण वो फिल्म थिएटर में रिलीज नहीं हुई |
उसके बाद अनुराग कश्यप 1993 के बॉम्बे बम धमाकों के बारे में हुसैन ज़ैदी नाम
की किताब पर आधारित फिल्म वह ब्लैक फ्राइडे (2004) को निर्देशित किया। उस
समय केस के लंबित होने के कारण सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन द्वारा इसकी
रिलीज को दो साल के लिए प्रतिबंधित किया गया था | बाद में 2007 में इस फिल्म को
रिलीज किया गया और लोगो ने इस फिल्म की काफी सराहना भी किया |
Movies List Directed by Anurag Kashyap
अनुराग कश्यप द्वारा निर्देशित फिल्में सूची
- Paanch (Unreleased)
- Black Friday (2004)
- No Smoking (2007)
- Return of Hanuman (2007)
- Dev.D (2009)
- Gulaal (2009)
- Mumbai Cutting (2010)
- That Girl in Yellow Boots (2011)
- Gangs of Wasseypur (2012)
- Bombay Talkies (2013)
- Ugly (2014)
- Bombay Velvet (2015)
- Raman Raghav 2.0 (2016)
- Mukkabaaz (2018)
- Lust Stories (2018)
- Sacred Games (2018)
- Manmarziyaan (2018)
- Ghost Stories (2020)
- Choked (2020)
अनुराग कश्यप को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। फिल्मों के
लिए इन्हे अब तक 4 फिल्मफेयर अवार्ड मिल चूका है।
वह गुरिल्ला-फिल्म बनाने की तकनीक के लिए भी जाने जाते हैं, जिसमें वास्तविक स्थानों
के दृश्यों को किसी भी चेतावनी के बिना फिल्म में दिखाया जाता है। कम बजट में अच्छी फिल्म
बनाने के लिए अनुराग कश्यप काफी लोकप्रिय हैं |
विदेशों में भी इनके फिल्म निर्माण के तकनीक से लोग प्रभावित हुए हैं | अनुराग कश्यप की जिंदगी
और संघर्ष नए फ़िल्मकार को काफी प्रेरणा देती है |
उनका मानना है आपके पास जो भी साधन उपलब्ध है उसी का प्रयोग कर एक अच्छी फिल्म बना सकते
हैं | फ़िल्मकार के हक़ के लिए हमेशा उन्होंने आवाज उठाया है |
अपने बेबाक टिपण्णियों के लिए भी वो मीडिया और लोगों के बिच चर्चा में रहते हैं |
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