फिल्म और टेलीविज़न मीडिया इंडस्ट्री काफी ज्यादा तेजी से बढ़ने बढ़ने वाली इंडस्ट्री है | अगर आप मीडिया एंड एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो ये पोस्ट आपके लिए काफी महत्वपूर्ण है |
इस पोस्ट में हम जानेंगे की फ़िल्म इंडस्ट्री में किस प्रकार से करियर बनाया जाता है और उसके लिए कहाँ से प्रशिक्षण प्राप्त करना होता है |
फिल्म इंडस्ट्री में कई प्रकार के जॉब होता है | अलग अलग कामों के लिए अलग-अलग लोगों को रखा जाता है | उनमे से कौन से जॉब आपको पसंद है उस जॉब के लिए आप तैयारी कर सकते हैं और प्रशिक्षण प्राप्त कर के फ़िल्म इंडस्ट्री में अपना करियर बना सकते हैं |
फिल्म इंडस्ट्री में जॉब के प्रकार :
Table of Contents
- स्क्रिप्ट राइटर
- स्टोरीबोर्डिंग आर्टिस्ट
- डायरेक्टर
- एक्टर
- सिनेमेटोग्राफर
- लाइटिंग आर्टिस्ट
- स्पॉट बॉय
- सेट आर्टिस्ट
- मेकअप आर्टिस्ट
- आर्ट डायरेक्टर
- लोकेशन मैनेजर
- फिल्म एडिटर
- डबिंग आर्टिस्ट
- साउंड डिज़ाइनर
- विज़ुअल इफेक्ट्स आर्टिस्ट (VFX )
ये सभी कुछ मुख्य जॉब रोल है, जो फिल्म निर्माण में अपना मुख्य भूमिका निभाते हैं | इसके अलावा भी फिल्म-निर्माण के क्रू के सदस्य में और भी लोग होते हैं| और उन लोगो के कड़ी मेहनत के बाद आप एक अच्छी फिल्म देख पाते हैं |
फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश करने से पहले आपको फिल्म-निर्माण के पूरी प्रक्रिया के बारे में जान लेना आवश्यक है |
फिल्म निर्माण की प्रक्रिया मुख्य रूप से तीन चरणों में पूरी होती है :
- प्री-प्रोडक्शन
- प्रोडक्शन
- पोस्ट-प्रोडक्शन
फिल्म निर्माण प्रक्रिया के ये तीन चरण मुख्य हैं | इन तीनो प्रक्रिया में कौन लोग का क्या काम होता है उस जॉब को कैसे पा सकते हैं इन सब चीजों के बारे में आगे हम डिटेल्स से जानेंगे |
प्री-प्रोडक्शन
प्री-प्रोडक्शन फिल्म निर्माण की सबसे आरम्भिक प्रक्रिया है | इसमें फ़िल्मके कहानी को लिखी जाती है | फ़िल्म के स्क्रिप्ट को स्क्रीनप्ले में बदला जाता है और उसके बाद स्टोरीबोर्डिंग की जाती है |
अगर आप प्री-प्रोडक्शन प्रक्रिया के बारे में और डिटेल्स से जानकरी प्राप्त करना चाहते हैं तो प्री-प्रोडक्शन क्या है लिंक पे क्लिक कर के जानकरी प्राप्त कर सकते हैं |
प्री-प्रोडक्शन प्रक्रिया के अंदर जो भी काम होते हैं अगर आपको रूचि है तो आप उस जॉब के लिए प्रशिक्षन ले कर स्क्रिप्ट राइटर , स्टोरीबोर्डिंग आर्टिस्ट के रूप में अपना करियर बना सकते हैं |
स्क्रिप्ट राइटर कैसे बने इस लिंक पे क्लिक कर और ज्यादा जानकरी प्राप्त कर सकते हैं | इस टॉपिक के बारे में काफी डिटेल्स जानकारी लिखी हुई है |
अगर आप स्टोरी-बोर्डिंग आर्टिस्ट के रूप में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो इसके लिए स्टोरी-बोर्डिंग क्या होता है इस लिंक पे क्लिक कर के डिटेल्स में जानकरी प्राप्त कर सकते हैं |
प्रोडक्शन
फिल्म-निर्माण की दूसरी प्रक्रिया प्रोडक्शन होती है | प्रोडक्शन की प्रक्रिया, प्री-प्रोडक्शन के बाद की प्रक्रिया होती है |
प्रोडक्शन की प्रक्रिया में फ़िल्म की शूटिंग होती हैं | फिल्म शूटिंग से जुड़े जो भी लोग होते हैं वो सभी प्रोडक्शन की प्रक्रिया में शामिल होते हैं|
डायरेक्टर :
जो फिल्म निर्देशन का काम करता है उसे फिल्म डायरेक्टर या फिल्म निर्देशक कहते हैं | फिल्मनिर्माण में डायरेक्टर की भूमिका सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है |
फिल्म के कौन से सीन किस प्रकार से बनेगी , फिल्म के किस सीन में क्या रखना क्या नहीं रखना है ये सभी निर्णय फिल्म निर्देशक ही लेते हैं |
अगर आप फिल्म निर्देशक के बारे में और ज्यादा डिटेल्स से जानकरी प्राप्त करना चाहते हैं तो फिल्म डायरेक्टर कैसे बने इसके बारे में डिटेल्स में अलग से पोस्ट लिखी उस पोस्ट के माध्यम से जानकरी प्राप्त कर सकते हैं |
फिल्म निर्देशक गाड़ी के इंजन के तरह होता है जो पुरे फिल्म-निर्माण प्रक्रिया को एक दिशा देता है |
एक कहानी को अपना कल्पना के माध्यम से एक दृश्य में परिवर्तन करना और उसे सिनेमा के रूप में दर्शक तक पहुँचाने में फिल्म निर्देशक की अहम् भूमिका होती है |
एक्टर :
फिल्म में किसी पात्र का अभिनय जो करता है उसे अभिनेता/एक्टर कहते हैं | फिल्म इंडस्ट्री में एक्टर के रूप में अपना करियर बनाने के लिए किसी अच्छे एक्टिंग स्कूल से एक्टिंग का कोर्स कर सकते हैं और एक्टर बन सकते हैं |
एक्टर कैसे बने इस लिंक को क्लिक कर के और भी ज्यादा डिटेल्स में जानकरी प्राप्त कर सकते हैं |
सिनेमेटोग्राफर :
सिनेमेटोग्राफर को डायरेक्टर ऑफ़ फोटोग्राफी भी कहते हैं | सिनेमेटोग्राफर वह व्यक्ति होता है जो पुरे फिल्म के सीन को किस प्रकार से शूट किया जाये उसका निर्णय लेता है |
सिनेमेटोग्राफर फिल्म के प्रत्येक सीन को क्रिएटिव तरीके से शूट करता ताकि फिल्म के सीन देखने में काफी रोचक लगे और इस प्रक्रिया को सिनेमेटोग्राफी कहते हैं |
अगर सिनेमेटोग्राफी सीखना चाहते हैं और एक सिनेमेटोग्राफर के रूप में फिल्म इंडस्ट्री में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो सिनेमेटोग्राफर कैसे बने इस लिंक के ऊपर क्लिक कर के और ज्यादा डिटेल्स में जानकरी पा सकते हैं |
लाइटिंग आर्टिस्ट :
लाइटिंग आर्टिस्ट फिल्म सेट पे लाइटिंग करने का काम करता है | सिनेमेटोग्राफर के निर्देश पे किस जगह कौन से लाइट का इस्तेमाल करना है ये लाइटिंग आर्टिस्ट तय करता है |
अगर आप लाइटिंग आर्टिस्ट बनना चाहते हैं तो आपको किसी फिल्म प्रोडक्शन कंपनी में लाइटिंग क्रू में काम करना पड़ेगा |
स्पॉट बॉय:
फिल्म में सभी कामों के लिए काफी लोगो की आवश्यकता होती है | अगर लाइटिंग की बात की जाये तो उसके लिए भी कई लोग होते हैं |
इसी तरह अन्य काम जैसे फिल्म सेट तैयार करना , फिल्म शूट में क्रेन ,कैमरा को एक जगह से दूसरे जगह ले आकर जाना , डायरेक्टर और एक्टर को उनके काम कोई प्रॉब्लम नहीं हो इसी लिए उनका मदद करना , टेक्निकल कामों के लीये भी कई सारे लोग होते हैं जिन्हे स्पॉट बॉय बोला जाता है |
इन सभी लोगों के कड़ी मेहनत से ही एक अच्छी फिल्म बन पाती है और दर्शक उस फिल्म का आनंद उठा पाते हैं |
अगर आप स्पॉट बॉय के रूप में काम करना चाहते हैं तो कसी भी फिल्म प्रोडक्शन कंपनी से संपर्क कर सकते हैं | अगर उन्हें एक्स्ट्रा स्पॉट बॉय की जरूरत होगी तो वो जरूर आपको काम पे रखेंगे |
आर्ट डायरेक्टर:
आर्ट डायरेक्टर फिल्म के सेट को डिज़ाइन करता है और सेट आर्टिस्ट के मदद से फिल्म सेट तैययर करता है | फिल्म के स्क्रिप्ट में जिस प्रकार का लोकेशन दिया हुआ होता है उसी तरह आर्ट डायरेक्टर सेट को डिज़ाइन करता है और फिल्म में शूटिंग के लिए इस्तेमाल होता है
सेट आर्टिस्ट:
सेट आर्टिस्ट फिल्म सेट को तैयार करने में मदद करता है | फिल्म निर्देशक के निर्देश पे किस प्रकार का सेट होगा , वैसा ही फिल्म सेट आर्टिस्ट द्वारा किया जाता है |
मेकअप आर्टिस्ट:
फिल्म मे जो भी एक्टर किसी किरदार को निभाते हैं उस किरदार के हिसाब से उस एक्टर को मेकअप कर के तैयार किया जाता है |
प्रोफेशनल मेकअप आर्टिस्ट को ये जॉब दिया जाता है और वो एक्टर /एक्ट्रेस को फिल्म शूट होने से पहले डायरेक्टर के दिए गए निर्देशानुसार तैयार करता है |
अगर आप मेकअप आर्टिस्ट के रूप में फिल्म इंडस्ट्री में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो किसी अच्छे मेकअप ट्रेनर से सिख कर के इस करियर बना सकते हैं |
लोकेशन मैनेजर :
लोकेशन मैनेजर का काम होता है लोकेशन ढूँढना और फिल्म शूटिंग से पहले उस लोकेशन के लिए पर्मीशन लेना |
फिल्म के स्क्रिप्ट में स्क्रिप्ट में लोकेशन भी काफी डिटेल्स से लिखा रहता है की किस सीन के लिए कौन सा लोकेशन चाहिए |
लोकेशन को ढूँढना और उसे फिल्म शूटिंग के लिए उपलब्ध करना लोकेशन मैनेजर का काम होता है | अगर आप लोकेशन मैनेजर बनना चाहते हैं तो आपको नयी-नयी जगह जाना पड़ेगा और डायरेक्टरी बनानी पड़ेगी | जिस तरह ट्रेवल करने के लिए ट्रेवल गाइड काम करता है ठीक उसी प्रकार लोकेशन मैनेजर एक फिल्म शूट करने में गाइड का काम करता है |
लोकेशन मैनेजर क्या होता है और कैसे बने इस लिंक के ऊपर क्लिक कर के आप लोकेशन मैनेजर के बारे में और ज्यादा जानकारी हासिल कर सकते है |
ये कुछ मुख्य जॉब रोल हैं जो प्रोडक्शन डिपार्टमेंट में एक टीम के रूप में होते हैं |
फिल्म जब सफल रूप से शूट हो जाती है तो उसे अगली प्रक्रिया में भेज दी जाती है जिसे पोस्ट-प्रोडक्शन कहते हैं |
पोस्ट-प्रोडक्शन
फिल्म निर्माण के अंतिम चरण पोस्ट-प्रोडक्शन होता है | पोस्ट प्रोडक्शन अंदर सबसे मुख्य एडिटर होता है जो फिल्म को एडिट करता है |
फिल्म जब शूट होती है तो उसमे प्रत्येक सीक्वेंस में कुछ क्लिप का पार्ट वैसे होते हैं जिनकी आवश्यकता नहीं होती है| फिल्म के सीन शूट कम्पलीट होने के बाद भी अगर कैमरा ओन रह गया तो कुछ अनुपयोगी पार्ट क्लिप के अंदर आ जाता है जिसे फिल्म एडिटर हटाता है और इस प्रक्रिया को फिल्म एडिटिंग कहते हैं |
ये सिर्फ उदाहरण के लिए था | वैसे फिल्म एडिटिंग के और भी चीजे की जाती है | फिल्म जब शूट होता है तो सेट पे जो साउंड रिकॉर्ड किया जाता है वो सिर्फ रेफ़्रेन्स के लिए लिया जाता है | बाद में उसी डायलॉग को डबिंग आर्टिस्ट के द्वारा डबिंग की जाती है | और उस साउंड को फिर से एडिट कर फिल्म में इस्तेमाल किया जाता है इस प्रक्रिया को फिल्म एडिटिंग कहा जाता है |
पोस्ट प्रोडक्शन टीम के अंदर एडिटर के अलावा भी कई लोग होते हैं जिन्हे पोस्ट प्रोडक्शन कहा जाता है |
फिल्म एडिटर :
फिल्म एडिटर का काम फ़िल्म को एडिट करना होता है | अगर आप एक फिल्म एडिटर बन कर फिल्म इंडस्ट्री में करियर बनाना चाहते हैं तो आपको किसी अच्छे फिल्म स्कूल से फिल्म एडिटिंग सिखने की आवश्यकता है |
इस डिजिटल फिल्म निर्माण के दौर में फिल्म निर्माण के सभी चरण में डिजिटल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है | फिल्म एडिट करने के लिए भी नॉन लीनियर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है और फिल्म को एडिट किया जाता है |
कौन कौन से सॉफ्टवेयर फिल्म इंडस्ट्री में इस्तेमाल किये जाते हैं इसके बारे में अगर जानना चाहते हैं तो फिल्म एड़ीटंग सॉफ्टवेयर लिंक पे क्लिक कर के जानकरी प्राप्त कर सकते हैं |
फिल्म एडिटर कैसे बने लिंक पे क्लिक कर के और ज्यादा डिटेल्स में इस टॉपिक के बारे में जान सकते हैं |
विज़ुअल इफेक्ट्स आर्टिस्ट (VFX ):
फिल्म अगर कसी सीन में विज़ुअल इफेक्ट्स की आवश्यकता होती है तो उसमे vfx आर्टिस्ट मदद करता है | फिल्म के किसी सीन में CGI (कम्प्यूटर जनरेटेड इमेजरी ) बैकग्राउंड इस्तेमाल करना हो तो उसके लिए VFX आर्टिस्ट होते हैं जो इस काम को करते हैं |
VFX आर्टिस्ट कैसे बने इसलिंक पे क्लिक कर के और ज्यादा जानकरी प्राप्त कर सकते हैं | एक विजुअल इफेक्ट्स आर्टिस्ट के टीम में कितने लोग होते हैं और उनका क्या क्या काम होता है सभी उस पोस्ट में काफी डिटेल्स में लिखे हुए हैं | इसमें करियर कैसे बनाये इसके बारे में भी डिटेल्स में लिखे हुए हैं |
Colorist :
फिल्म एड़ीटंग के बाद उसको सिनेमेटिक लुक दिया जाता है जिसे फिल्म लुक भी कहते हैं | इस प्रकिया को कलर ग्रेडिंग कहते हैं |
जो व्यक्ति कलर ग्रेडिंग करता है उसे colorist बोलते हैं | एक colorist के रूप अपना करियर बनाने के लिए आपको कलर ग्रेडिंग का प्रशिक्षण लेना होता है | कलर ग्रेडिंग भी कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के मदद से किया जाता है |
अगर आप कलर ग्रेडिंग के बारे में और ज्यादा जानकरी प्राप्त करना चाहते हैं तो कलर ग्रेडिंग क्या है लिंक के ऊपर क्लिक कर के जानकरी प्राप्त कर सकते हैं |
ये कुछ प्रमुख जॉब थे जिसमे आप 12वीं पास करने के बाद फिल्म निर्माण के क्षेत्र में शानदार करियर बना सकते हैं | फिल्म इंडस्ट्री में जो भी लोग आते हैं वो पूरी तरह से तैयारी के साथ आते हैं |
इसी लिए अगर आप भी फिल्म इंडस्ट्री में आना चाहते हैं और करियर बनाना चाहते हैं जो आपके पसंद के जॉब है उसके लिए प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं और फिल्म इंडस्ट्री में अपने करियर कर सकते हैं |
see also: Animation and VFX , कक्षा 12 वीं के बाद एक अच्छा क्षेत्र है