Dop full form = Director Of Photography
डायरेक्टर ऑफ़ फोटोग्राफी क्या होता है ?
फिल्म-निर्माण के क्षेत्र में प्रोडक्शन डिपार्टमेंट में कैमरा और लाइटिंग के हेड को DOP यानि डायरेक्टर
ऑफ़ फोटोग्राफी बोलते हैं |
फिल्म-निर्माण तीन चरणों में पूरी होती है;
प्री-प्रोडक्शन के अंदर फिल्म के शूटिंग से पहले की सभी तैयारी की जाती है जैसे- स्क्रिप्ट राइटिंग, स्टोरीबोर्डिंग,
फिल्ममेकिंग उपकरण उपलब्ध करवाना इत्यादि |
उसके बाद फिल्म-निर्माण की दूसरी चरण प्रोडक्शन शुरू होती है, जिसके अंदर फिल्म की शूटिंग होती है
DOP का प्रोडक्शन के अंदर काफी अहम भूमिका होती है | फिल्म के स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले को पढ़ कर
प्रत्येक सीन और शॉट के बारे में फिल्म निर्देशक के साथ बैठ कर डिस्कस करता है की कौन से सीन या
शॉट में क्या कैमरा एंगल है, कौन से सीन कितने समय की शूट होगी, कौन सा लेंस का इस्तेमाल करना है,
कौन से सीन में क्या लाइट लगेगा इत्यादि |
फिल्म निर्माण की आखिरी चरण यानि पोस्ट-प्रोडक्शन में फिल्म की एडिटिंग की जाती है | यदि फिल्म
के किसी सीन में विजुअल इफेक्ट्स VFX का इस्तेमाल करना हो तो वो भी पोस्ट प्रोडक्शन के अंदर ही होता
है |
dop का फुल फॉर्म क्या होता है | dop full form in hindi
Table of Contents
full form of dop – Director Of Photography
DoP का फुल फॉर्म डायरेक्टर ऑफ़ फोटोग्राफी होता है | इसको शार्ट में कभी-कभी DP भी
बोला जाता है |
DOP को सिनेमेटोग्राफर भी बोलते हैं | बड़े प्रोडक्शन हाउस में कैमरा पर्सन और डायरेक्टर ऑफ़ फोटोग्राफी
दोनों अलग-अलग लोग होते हैं | dop पहले डायरेक्टर के साथ किसी सीन के बारे में विचार करता है फिर
निर्णय लेता है की कौन से सीन को किस तरह से शूट करना है और उसके बाद कैमरा मैन को कैमरा
फ्रेम सेट करने बोलता है|
किसी भी सीन में लाइट कहाँ पे होगा, उसके साथ ही रिफ्लेक्टर कहाँ पे लगेगा ये सभी निर्देश dop ही
लाइटिंग आर्टिस्ट को देता है | DOP एक टेक्निकल पर्सन होता है जिसे कैमरा के फंक्शन के साथ साथ
लाइटिंग का भी अनुभव होता है और उसके साथ ही फिल्म निर्देशन का भी अनुभव होना जरूरी होता है |
यही वजह है जो लोग डायरेक्टर ऑफ़ फोटोग्राफी ( DOP ) के रूप में काम करते हैं उनमे से अधिकतर लोग आगे
चलकर फिल्म निर्देशक बन जाते हैं |
dop का जॉब क्या-क्या होता है
किसी सीन को डायरेक्टर किस हिसाब से सोच रहा है उस चीज को समझना और उसको
कैमरे की मदद से परदे पे उतारना ये DOP (Director Of Photography) की जिम्मेबारी होती है ।
शूटिंग के दौरान काफी चीजों के ऊपर ध्यान रखा जाता है
जैसे- फिल्म अगर आउटडोर में शूट हो रहा है यानि सड़क या चौराहे पे शूट हो रहा है तो वहां पे लाइटिंग
कैसा होगा, क्या-क्या लाइट लगेगा उसको ध्यान में रखना, किस प्रकर की सीन शूट हो रही उसके हिसाब
से लेंस का चुनाव करना DOP का काम होता है |
क्लोज़-अप शार्ट के लिए अलग लेंस का इस्तेमाल करना होता है और लॉन्ग डिस्टेंस शार्ट के लिए अलग
लेंस का इस्तेमाल होता है इन सब चीजों के बारे में टेक्नीकल नॉलेज होना एक डोप के लिए अनिवार्य है |
डायरेक्टर ऑफ़ फोटोग्राफी (DOP) को सिनेमेटोग्राफर बोलते हैं और वो जो काम करते हैं उस काम को
सिनेमेटोग्राफी बोलते हैं |
सिनेमेटोग्राफी के बारे में ज्यादा डिटेल्स से जानने के लिए निचे सिनेमेटोग्राफी क्या होता है इस पोस्ट को
पढ़ें |
फिल्म निर्माण में dop किस-किस पर्सन के साथ काम करते हैं?
डोप को फिल्म निर्माण में किन किन लोगो के साथ डील करना होता है उसके बारे में डिटेल्स से
जानेगे –
Film Director
डोप फिल्म के सीन के बारे में फिल्म निर्देशक के साथ चर्चा करता है और उसके बाद कन्फर्म
हो जाता है की कौन से सीन को किस प्रकार से शुरू करना है | किसी भी सीन या शॉट फिल्म
निर्देशक किस प्रकार के सोच रहा है उसको समझना और फिल्म नर्देशक की राय लेना डोप
की जिम्मेबारी होती है |
आखिर में फिल्म के सीन शूट होने के बाद फिल्म निर्देशक ही उस शॉट को अप्रूव करेगा
तभी वो सीन लॉक किया जायेगा | इसी लिए dop को डायरेक्टर के साथ मिल के काम करना
होता है |
Script supervisor
स्क्रिप्ट सुपरवाइजर का काम होता है स्क्रिप्ट का ध्यान रखना की जो स्क्रिप्ट में है उस
तरह से फिल्म शूट हो रहा है की नहीं |
ऐसा नहीं की बनाने चले थे हॉरर फिल्म और न गया कॉमेडी फिल्म |
फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा होता है जब नए डायरेक्टर या नए लोग के साथ कोई फिल्म बनाई जाती है
और फिल्म में काम करने वाले लोगों के पास अनुभव नहीं होता है तो फिल्म ख़राब बन जाती है और
बाद में फिल्म के रिलीज को रोक दिया जाता है |
स्क्रिप्ट सुपरवाइजर काम होता है स्क्रिप्ट के अनुसार फिल्म शूट हो इसका ध्यान रखना और डोप
के साथ मिल कर काम करना | अगर स्क्रिप्ट में कोई बदलाव करना होता है तो स्क्रिप्ट सुपरवाइजर के
परमिशन के बाद ही किया जाता है |
स्क्रिप्ट सुपरवाइजर फिल्म निर्देशक के साथ भी संपर्क में में रहता है | ऐसा नहीं यही की डायरेक्टर अपने
मर्जी से कोई भी सीन काट कर हटा देगा |
फिल्म निर्माण एक टीम वर्क होता है और प्रत्येक चरण में पुरे डिपार्टमेंट मिलकर काम करता है
तभी जाकर एक अच्छी फिल्म बन पाती है | अगर फिल्म नर्माण में कोई अपने जॉब पोस्ट का
पावर दिखाता है तो उसी समय से फिल्म इंडस्ट्री में उसके करियर का समय समाप्त होना शुरू
हो जाता है |
जितनी भी बड़ी और अच्छी फ़िल्में बनती है उसके पीछे के टीम को जब देखेंगे तो आपको लगेगा ये
कोई व्यवसायिक टीम नहीं बल्कि एक परिवार है |
यही वजह है की वो फ़िल्में उतनी अच्छी बन पाती है और सफल भी होती है |
Camera operator
कैमरा ऑपरेटर फिल्म के अंदर कैमरा को ऑपरेट करता है | dop उसको गाइड करता है उसी
के हिसाब से कैमरा ऑपरेटर कमरे को सही पोजीशन पे रखता है , फ्रेम सेट करता है कौन सा
लेंस लगेगा dop से पूछ कर उस लेंस को कैमरा में सेट करता है |
Lighitng artist
लाइटिंग आर्टिस्ट का काम लाइट का सेटअप करना होता है | dop जो निर्देश देता है उस हिसाब से लाइटिंग
आर्टिस्ट फिल्म सेट पे लाइटिंग करता है |
Steadicam operator
Steadicam ऑपरेटर का काम होता है Steadicam को संभालना | Steadicam एक सिस्टम
होता है जिसके मदद से कैमरे के मूवमेंट को smooth किया जाता है | फिल्म सीन में जिस भी
तरह का कैमरा मूवमेंट है उसको Steadicam के मदद से जिया जाता है और उसे Steadicam
ऑपरेटर संभालता है |
कभी-कभी कैमरा मैन और Steadicam ऑपरेटर दोनों एक ही पर्सन होता है | वो प्रोडक्शन के बजट
पे निर्भर करता है |
Data wrangler
Data wrangler काम होता है फुटेज को कैमरे से हार्ड-डिस्क या मेमोरी कार्ड में ट्रांसफर करना |
फिल्म जब शॉट होता है तो कैमरा के स्टरगे का इस्तेमाल होता है जिसमे स्टोरेज क्षमता कम होता है |
कैमरे के स्टोरेज फुल होने के बाद उस उस फुटेज को अलग एक हार्ड-डिस्क में सुरक्षित करना Data wrangler
का काम होता है | ये भी dop के अंदर काम करते हैं|
Video assist operator (VAO)
Video assist operator (VAO) का काम होता है वीडियो फुटेज को play कर के डायरेक्टर को दिखाना
ताकि डायरेक्टर उस सीन को कन्फर्म कर सके |
डायरेक्टर ऑफ़ फोटोग्राफी ( dop ) कैसे बने
DOP बनने के लिए आपके पास फिल्म निर्माण के बारे में पूरी तरह से जानकारी होना जरुरी है |
एक डायरेक्टर ऑफ़ फोटोग्राफी को कैमरा और लाइट का टेक्निकल नॉलेज होना जरूरी है और
उसके साथ ही स्क्रीनप्ले को समझना , फिल्म निर्देशक के विजन को समझना ये सभी कला
होना आवश्यक है |
फिल्म निर्माण की प्रशिक्षा लिए कोई पर्सन डोप नहीं बन सकता है | फिल्म निर्माण
सिखने के लिए किसी अच्छे फिल्म स्कूल में दाखिला ले सकते हैं और वहां पे सिनेमेटोग्राफी
का कोर्स कर के सिनेमेटोग्राफी सिख सकते हैं और फिर किसी प्रोडक्शन हाउस में अस्सिटेंट
DOP के रूप में काम कर के अनुभव प्राप्त कर सकते हैं |
DOP का जॉब काफी कलात्मक होता है और डिसीजन मेकर वाला भी होता है | एक सीन को कई
तरह से शूट किया जा सकता है अब ये dop के ऊपर जिम्मेबारी होती है की किसी सीन को
किस प्रकार से शूट करे ताकि अच्छी फिल्म बन सके |
अगर आप फिल्म-निर्माण का कोर्स करते हैं तो उस कोर्स के अंदर भी सिनेमेटोग्राफी का विषय
होता है जो आपको सिखाया जाता है और स्पेशलाइजेशन के समय आप सिनेमेटोग्राफी चुन
सकते हैं | सिनेमेटोग्राफी में अनुभव प्राप्त करने के लिए कुछ समय किसी भी फिल्म प्रोडक्शन
कंपनी में बतौर DOP के रूप में काम कर सकते हैं|
Dop बनने के लिए सिनेमेटोग्राफी कहाँ से सीखें
काफी सारे ऐसे फिल्म इंस्टिट्यूट हैं जो डिजिटल फिल्ममेकिंग कोर्स के अंदर सिनेमेटोग्राफी भी सिखाते है
और कई ऐसे भी इंस्टिट्यूट हैं जहॉ सिनेमेटोग्राफी का अलग से स्पेशल कोर्स होता है|
कोई भी फिल्म इंस्टिट्यूट ज्वाइन कर के वहां से प्रॉपर फिल्म निर्माण की प्रशिक्षा ले कर फिल्म
निर्माण में डोप के रम में अपने करियर की शुरुआत कर सकते हैं |
“National School of Drama”(NSD) Delhi https://nsd.gov.in
Film and Television Institute of India (FTII) Pune https://www.ftii.ac.in/
SATYAJIT RAY FILM & TELEVISION INSTITUTE (SRFTI) Kolkata http://srfti.ac.in/